बेहद खूबसूरत थी ये तवायफ, जिसके दीवाने थे वीर कुंवर सिंह
स्वतंत्रता संग्राम
स्वतंत्रता संग्राम में पुरुषों ने जितना योगदान दिया है उसमें हमकदम बनकर महिलाओं ने भी उनका सहयोग किया है.
धरमन बाई
इतिहास भी इसका गवाह है, चाहे वो झांसी की रानी हो या फिर बेगम हजरत महल. ऐसी ही एक वीरांगना महिला थी बिहार के आरा की धरमन बाई.
वीर कुंवर सिंह
पेशे से तवायफ धरमन बाई को महान स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह से काफी ज्यादा प्रेम था. अपने प्रेम के लिए इस विरांगना ने अपनी शहादत दे दी थी.
दो बहने
कहा जाता है कि धरमन बाई और करमन बाई दो बहने थीं, जो आरा, बिहार की तवायफ थी.
मुजरा
बात 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय की है. इन दोनों का मुजरा काफी प्रसिद्ध था.
आंखे चार
जिसे देखने के लिए वीर कुंवर सिंह भी जाते थे. उसी दौरान इन दोनों से उनकी आंखे चार हुई.
बेपनाह मुहब्बत
बाबू कुंवर सिंह इन दोनों से बेपनाह मुहब्बत करने लगे, लेकिन धरमन को वो अपने ज्यादा करीब पाते थे, शायद इसी वजह से उन्होंने धरमन से शादी कर ली.
करमन टोला
यहां तक कहा जाता है कि बेपनाह मुहब्बत का ही नतीजा था कि करमन बाई के नाम पर कुंवर सिंह ने करमन टोला बसा डाला, जो आज भी विद्यमान है.
धरमन चौक
वहीं धरमन बाई के नाम पर धरमन चौक के अलावा आरा और जगदीशपुर में धरमन के नाम पर मस्जिद का निर्माण करवाया.
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