Tehzeeb Hafi Poetry: दिल खुश कर देंगे तहज़ीब हाफ़ी के ये बेहतरीन शेर


2023/10/10 18:38:59 IST

Tehzeeb Hafi

    मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ, पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे

Tehzeeb Hafi

    दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर, तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ

Tehzeeb Hafi

    वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं, वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता

Tehzeeb Hafi

    मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ, वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता

Tehzeeb Hafi

    मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर, ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है

Tehzeeb Hafi

    गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ, नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा

Tehzeeb Hafi

    मैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँ, तो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगा

Tehzeeb Hafi

    मैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने 'सरवत' पर, और इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा

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