जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा...पढ़ें दर्द पर लिखे कैफ़ी आज़मी के शेर...


2024/07/23 23:54:20 IST

दीवाना पूछता है ये

    दीवाना पूछता है ये लहरों से बार बार, कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं

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गर डूबना ही अपना मुक़द्दर

    गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो, डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ

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आज फिर टूटेंगी

    आज फिर टूटेंगी तेरे घर नाज़ुक खिड़कियाँ, आज फिर देखा गया दीवाना तेरे शहर में

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इन्साँ की ख़्वाहिशों

    इन्साँ की ख़्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं, दो गज़ ज़मीं भी चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद

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पाया भी उनको खो भी दिया

    पाया भी उनको खो भी दिया चुप भी हो रहे, इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं

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तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों

    तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता, मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं

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दीवाना पूछता है ये लहरों से

    दीवाना पूछता है ये लहरों से बार बार, कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं

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