हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी...पढ़ें अल्लामा इक़बाल के शेर
जहाँ
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं,
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
Credit: Social Mediaइश्क़
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ,
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ
Credit: Social Mediaपरवाज़
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा,
तिरे सामने आसमाँ और भी हैं
Credit: Social Mediaनिगाह
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का,
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
सुरूर
इल्म में भी सुरूर है लेकिन,
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं
Credit: Social Mediaख़ुदा
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी,
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़
Credit: Social Mediaप्यार
सौ सौ उमीदें बंधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई
Credit: Social Media View More Web Stories