Mirza Ghalib: इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया...वर्ना हम भी आदमी काम के थे...
Mirza Ghalib
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन.. दिल के ख़ुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है..
Mirza Ghalib
हजारों ख्वाहिशें ऐसी है कि, हर ख्वाहिश पर दम निकले..बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..
Mirza Ghalib
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं...अदू के हो लिए जब तुम तो मेरे इम्तिहाँ क्यों हो..
Mirza Ghalib
उनको देखने से जो आ जाती है मुंह में रौनक..वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है...
Mirza Ghalib
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान झूठ जाना..कि खुशी से मर न जाते अगर एतबार होता...
ग़ालिब
हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है...वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता..
Mirza Ghalib
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा..कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है...
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