न जी भर के देखा न कुछ बात की...बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
मुसाफ़िर
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
Credit: Social Mediaगुज़र
आज देखा है तुझ को देर के बअ'द, आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
Credit: Social Mediaमुलाक़ात
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
Credit: Social Mediaदिल
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
Credit: Social Mediaवक़्त-ए-मुलाक़ात
ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है, हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है
Credit: Social Mediaमुलाक़ात
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढ़िए, इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई
Credit: Social Mediaमौक़ा
सुनते रहे हैं आप के औसाफ़ सब से हम मिलने का आप से कभी मौक़ा नहीं मिला
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