न जी भर के देखा न कुछ बात की...बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की


2024/02/01 22:04:32 IST

मुसाफ़िर

    मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

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गुज़र

    आज देखा है तुझ को देर के बअ'द, आज का दिन गुज़र न जाए कहीं

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मुलाक़ात

    कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है

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दिल

    जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई

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वक़्त-ए-मुलाक़ात

    ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है, हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है

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मुलाक़ात

    नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढ़िए, इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई

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मौक़ा

    सुनते रहे हैं आप के औसाफ़ सब से हम मिलने का आप से कभी मौक़ा नहीं मिला

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