Gulzar: दर्द दिल का लिबास होता है... गुलजार की इश्क पर शायरी
ईमाँ पर शायरी
उसी का ईमाँ बदल गया है, कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था.
आप ने औरों
आप ने औरों से कहा सब कुछ, हम से भी कुछ कभी कहीं कहते.
ज़ख़्म पर शायरी
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है, दर्द दिल का लिबास होता है.
सन्नाटे पर शायरी
देर से गूँजते हैं सन्नाटे, जैसे हम को पुकारता है कोई.
क़दम पर शायरी
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले, क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले.
राख को भी कुरेद
राख को भी कुरेद कर देखो, अभी जलता हो कोई पल शायद.
उम्र पर शायरी
वो उम्र कम कर रहा था मेरी, मैं साल अपने बढ़ा रहा था.
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