पढ़ें इश्क पर लिखे मिर्जा गालिब के सबसे बेहतरीन शेर...


2024/07/30 23:32:50 IST

हमको मालूम है जन्नत

    हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़्याल अच्छा है

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तेरे वादे पर जिये हम

    तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना, कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता

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रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं

    रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब', कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था

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बस-कि दुश्वार है हर

    बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना

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बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है

    बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे

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यही है आज़माना तो

    यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं, अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो

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वो आए घर में हमारे

    वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं, कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं

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