पढ़ें इश्क पर लिखे मिर्जा गालिब के सबसे बेहतरीन शेर...
हमको मालूम है जन्नत
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़्याल अच्छा है
Credit: Googleतेरे वादे पर जिये हम
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना, कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता
Credit: Googleरेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब', कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था
Credit: Googleबस-कि दुश्वार है हर
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
Credit: Googleबाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे
Credit: Googleयही है आज़माना तो
यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं, अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो
Credit: Googleवो आए घर में हमारे
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं, कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं
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