तुम्हें याद ही न आऊँ ये है और बात वर्ना, पढ़ें तग़ाफ़ुल पर बेहतरीन शेर
तग़ाफ़ुल
इक तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल है सो वो उन को मुबारक, इक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगे
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इस नहीं का कोई इलाज नहीं, रोज़ कहते हैं आप आज नहीं
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हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन, ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक
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कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल, मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर
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उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं, भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
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ये अदा-ए-बे-नियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक, मगर ऐसी बे-रुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुँचे
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हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस ने , जो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया
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