वो आग बुझी तो हमें मौसम ने झिंझोड़ा, पढ़े सर्दी पर शेर
शोएब बिन अज़ीज़
अब उदास फिरते हो सर्दियों की शामों में, इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में
अमित शर्मा मीत
दिसम्बर की सर्दी है उस के ही जैसी, ज़रा सा जो छू ले बदन काँपता है
मोहम्मद अल्वी
सर्दी में दिन सर्द मिला, हर मौसम बेदर्द मिला
मुज़्तर ख़ैराबादी
वो गले से लिपट के सोते हैं, आज-कल गर्मियाँ हैं जाड़ों में
सिब्त अली सबा
जब चली ठंडी हवा बच्चा ठिठुर कर रह गया, माँ ने अपने ला'ल की तख़्ती जला दी रात को
नोमान शौक़
तुम तो सर्दी की हसीं धूप का चेहरा हो जिसे, देखते रहते हैं दीवार से जाते हुए हम
अमित शर्मा मीत
रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत, दिन भी हर रोज़ सुलगता है तिरी यादों से
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