Urdu Shayari: हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है


2024/07/26 12:15:45 IST

निज़ाम रामपुरी

    तेरे ही ग़म में मर गए सद-शुक्र,आख़िर इक दिन तो हम को मरना था

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ख़्वाजा मीर दर्द

    कहते न थे हम 'दर्द' मियाँ छोड़ो ये बातें, पाई न सज़ा और वफ़ा कीजिए उस से

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रईस सिद्दीक़ी

    तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करते,ज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते

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आरज़ू लखनवी

    शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है,बा-वफ़ा जो आज हैं कल बे-वफ़ा हो जाएँगे

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जावेद सबा

    उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया,पा-ब-ज़ंजीर किया और मुझे छोड़ दिया

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मुनीर नियाज़ी

    कुछ दिन के बा'द उस से जुदा हो गए 'मुनीर' ,उस बेवफ़ा से अपनी तबीअत नहीं मिली

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हफ़ीज़ होशियारपुरी

    ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म,ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे

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