आखिर क्यों खुद को आधा मुसलमान मानते थे मिर्जा गालिब
उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर
उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के महान शायर मिर्जा गालिब भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन आज भी उनका नाम इज्जत से लिया जाता है.
Credit: Googleशायरी के माध्यम से जिंदा
आज भी वो लोगों के दिलों में अपनी शेरो-शायरी के माध्यम से जिंदा है.
Credit: Google महत्वपूर्ण कवि
ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में जाने जाते हैं.
Credit: Google पहली कविता
महज 11 साल की उम्र में गालिब ने अपनी पहली कविता लिखी थी.
Credit: Googleदरबारी कवि
वह मुगल काल के आखिरी बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के दरबार में शेर-ओ-शायरी करते थे.
Credit: Google खुद को मानते थे आधा मुसलमान
उत्तर प्रदेश के आगरा के मुस्लिम परिवार में जन्मे ग़ालिब खुद को आधा मुसलमान मानते थे.
Credit: Googleक्यों खुद को मानते थे आधा मुसलमान
एक बार एक अंग्रेज ने उनसे पूछा कि वो रोजा क्यों नहीं रखते हैं जिसके जवाब में गालिब ने कहा कि, मैं शराब पीती हूं लेकिन सूअर नहीं खाता हूं. इसलिए मैं आधा मुसलमान हूं.
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