इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं, पढ़िए पूरी गजल
Sad Poetry
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं
Credit: Social Mediaमंज़िल शायरी
ज़िंदगी मौत तेरी मंज़िल है, दूसरा कोई रास्ता ही नहीं
Credit: Social Mediaसच-झूट शायरी
सच घटे या बढ़े तो सच न रहे, झूट की कोई इंतिहा ही नहीं
Credit: Social Mediaबाज़ार शायरी
ज़िंदगी अब बता कहाँ जाएँ, ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं
Credit: Social Mediaआईना शायरी
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो, आईना झूट बोलता ही नहीं
Credit: Social Mediaकृष्ण बिहारी नूर
अपनी रचनाओं में वो ज़िंदा है
'नूर' संसार से गया ही नहीं
Credit: Social Media View More Web Stories