
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं, पढ़िए पूरी गजल

Sad Poetry
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं
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मंज़िल शायरी
ज़िंदगी मौत तेरी मंज़िल है, दूसरा कोई रास्ता ही नहीं
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सच-झूट शायरी
सच घटे या बढ़े तो सच न रहे, झूट की कोई इंतिहा ही नहीं
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बाज़ार शायरी
ज़िंदगी अब बता कहाँ जाएँ, ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं
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आईना शायरी
चाहे सोने के फ़्रेम में जड़ दो, आईना झूट बोलता ही नहीं
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कृष्ण बिहारी नूर
अपनी रचनाओं में वो ज़िंदा है
'नूर' संसार से गया ही नहीं
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