क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा...पेश है जिंदगी पर कुछ चुनिंदा शेर


2024/09/16 14:48:12 IST

ज़िंदगी

    अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या

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ज़िंदगी

    ज़िंदगी शायद इसी का नाम है, दूरियां मजबूरियां तन्हाइयां

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कशमकश-ए-ज़िंदगी

    तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम, ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम

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क़ब्र

    ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं, पांव फैलाऊं तो दीवार में सर लगता है

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ज़िंदगी

    जो गुज़ारी न जा सकी हम से, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है

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अंदाज़

    ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को, अपने अंदाज़ से गंवाने का

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यादों

    उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए

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