क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा...पेश है जिंदगी पर कुछ चुनिंदा शेर
ज़िंदगी
अब मिरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
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ज़िंदगी शायद इसी का नाम है, दूरियां मजबूरियां तन्हाइयां
Credit: freepikकशमकश-ए-ज़िंदगी
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम, ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम
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ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं, पांव फैलाऊं तो दीवार में सर लगता है
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जो गुज़ारी न जा सकी हम से, हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
Credit: freepikअंदाज़
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को, अपने अंदाज़ से गंवाने का
Credit: freepikयादों
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
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