रामचरितमानस की इन चौपाइयों का करें पाठ, सफलता चुमेंगी कदम
संकट दूर करने लिए
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
नौकरी के लिए
विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।
यात्रा सफल के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
विवाह के लिए
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह। साज सँवारि कै।।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि लई हंकारि कै।।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥
आलस्य से मुक्ति
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।
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