खाटू श्याम बाबा को क्यों कहा जाता है हारे का सहारा
खाटू श्याम का दर्शन
हर साल हजारों की संख्या में लोग खाटू श्याम का दर्शन करने राजस्थान के सालों पुराने मंदिर में जाते हैं.
खाटू श्याम का बर्थडे
आज खाटू श्याम का बर्थडे है तो छलिए इस खास मौके पर जानते है कि आखिर उन्हें हारे का सहारा क्यों कहा जाता है.
हारे का सहारा
खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है इसके पीछे की कहानी बहुत कम लोगों को पता है. तो चलिए जानते हैं.
महाभारत युद्ध
जब पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध हो रही थी तो बर्बरीक अपनी मां से कह कर गए थे कि युद्ध में जो भी हारेगा मैं उसका साथ दूंगा.
भगवान कृष्ण
लेकिन भगवान कृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध लड़ा तो पांडवों की हार हो जाएगी. इसलिए छल से उसकी बल की परीक्षा लेने पहुंच जाते हैं. और बर्बरीक से कहते हैं कि, एक तीर से पेड़ के सारे पत्ते गिराकर दिखाओं.
बर्बरीक की परीक्षा
जिसके बाद बर्बरीक एक ही तीर में पेड़ के सारे पत्ते को गिरा देता है लेकिन भगवान एक पत्ते को अपने पैर के नीचे दबा लेते हैं.
हारे का सहारा
जिसके बाद भगवान कृष्ण बर्बरीक से उसका सिर दान में मांग लेते हैं. यहां कारण है कि बर्बरीक को हारे का सहारा कहा जाता है.
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