जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी मुनीर ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं, पढ़ें पाकिस्तानी शायरी


2024/02/26 10:20:37 IST

पाकिस्तानी शायरी

    पाकिस्तान के अनेक शायर जिनके द्वारा उर्दू पाकिस्तानी शायरी लिखी गई.

Credit: सोशल मीडिया

करेंगे तारीफ

    जिसको पढ़ने के बाद आप भी तारीफ करेंगे.

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गीराना आता है

    नशा पिला के गीराना तो सब को आता है, मज़ा तो जब है के गिरतों को थाम ले साकी.

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ख़ूब-सूरत लब

    ये समझ के माना है सच तुम्हारी बातों को, इतने ख़ूब-सूरत लब झूट कैसे बोलेंगे.

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ज़ेहन में आता है

    मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ मगर इतना तो बता, देख कर मुझ को तिरे ज़ेहन में आता क्या है.

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कुछ तो ज़िक्र करो

    यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का, वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे.

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एक ऐसा शख़्स

    जानता हूँ एक ऐसे शख़्स को मैं भी ‘मुनीर’, ग़म से पत्थर हो गया लेकिन कभी रोया नहीं.

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तुझको है वास्ता

    कैसे कहें कि तुझको भी हम से है वास्ता कोई, तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया.

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