जिगर मुरादाबादी के 10 चुनिंदा शेर......
जिगर मुरादाबादी
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम न,
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
जिगर मुरादाबादी
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं,
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
जिगर मुरादाबादी
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे,
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
जिगर मुरादाबादी
हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका,
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
जिगर मुरादाबादी
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है,
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
जिगर मुरादाबादी
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं,
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं
जिगर मुरादाबादी
तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं,
हाँ मुझी को ख़राब होना था
जिगर मुरादाबादी
उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें,
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे
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