गुलज़ार के 10 चुनिंदा शेर...
'गुलज़ार'
ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा,
वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता
'गुलज़ार'
चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं,
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें
'गुलज़ार'
भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में,
उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं
'गुलज़ार'
रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले,
क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले
'गुलज़ार'
देर से गूँजते हैं सन्नाटे,
जैसे हम को पुकारता है कोई
'गुलज़ार'
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसाँ उतारता है कोई
'गुलज़ार'
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार,
पीले पत्ते तलाश करती है
'गुलज़ार'
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है
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