मुग़ल शहज़ादियों को क्यों दी जाती थी सैलरी


2024/03/03 13:01:18 IST

शहज़ादियों को वेतन

    यह तो हम सभी जानते हैं कि मुगल काल में महिलाएं पर्दा करके रखती थीं, लेकिन चार-दीवारों में रहने के बावजूद उन्हें भत्ता यानि वेतन दिया जाता था.

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जरूरतों को पूरा करने के लिए वेतन

    कहा जाता है कि महिलाओं को वेतन उनकी आजीविका भत्ता के अनुसार दिया जाता था, ताकि वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें.

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बाबर ने की शुरुआत

    मुगल इतिहास की किताबों में उल्लेख मिलता है कि मुगल शहजादियों को शाही रकम देने की व्यवस्था बाबर ने की थी. बाबर ने रानियों, शहजादियों और हरम में रहने वाली महिलाओं को लाखों में सैलरी दी थी.

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जहांआरा की सबसे ज्यादा सैलरी

    जानकारी के मुताबिक, मुगल इतिहास में सबसे ज्यादा वेतन औरंगजेब की बहन जहांआरा को मिलता था. कहा जाता है कि जहांआरा को शाही रकम दी जाती थी.

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छह लाख रुपये का सालाना वजीफा

    बता दें कि बादशाह शाहजहां ने जहां आरा के लिए छह लाख रुपये का वार्षिक वजीफा तय कर दिया था.

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जेबुन्निसा को 4 लाख की सैलरी

    जहांआरा के बाद औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा को भी सबसे ज्यादा वेतन दिया जाता था, कहा जाता है कि इसकी रकम 4 लाख थी.

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रानियों के नाम जागीरें

    कई रानियां ऐसी भी थीं, जिनके नाम जागीरें कर दी जाती थीं. हालांकि, वेतन देने के पीछे कोई ठोस वजह स्पष्ट नहीं है.

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