मुग़ल शहज़ादियों को क्यों दी जाती थी सैलरी
शहज़ादियों को वेतन
यह तो हम सभी जानते हैं कि मुगल काल में महिलाएं पर्दा करके रखती थीं, लेकिन चार-दीवारों में रहने के बावजूद उन्हें भत्ता यानि वेतन दिया जाता था.
Credit: Social Mediaजरूरतों को पूरा करने के लिए वेतन
कहा जाता है कि महिलाओं को वेतन उनकी आजीविका भत्ता के अनुसार दिया जाता था, ताकि वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें.
Credit: Social Mediaबाबर ने की शुरुआत
मुगल इतिहास की किताबों में उल्लेख मिलता है कि मुगल शहजादियों को शाही रकम देने की व्यवस्था बाबर ने की थी. बाबर ने रानियों, शहजादियों और हरम में रहने वाली महिलाओं को लाखों में सैलरी दी थी.
Credit: Social Mediaजहांआरा की सबसे ज्यादा सैलरी
जानकारी के मुताबिक, मुगल इतिहास में सबसे ज्यादा वेतन औरंगजेब की बहन जहांआरा को मिलता था. कहा जाता है कि जहांआरा को शाही रकम दी जाती थी.
Credit: Social Mediaछह लाख रुपये का सालाना वजीफा
बता दें कि बादशाह शाहजहां ने जहां आरा के लिए छह लाख रुपये का वार्षिक वजीफा तय कर दिया था.
Credit: Social Mediaजेबुन्निसा को 4 लाख की सैलरी
जहांआरा के बाद औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा को भी सबसे ज्यादा वेतन दिया जाता था, कहा जाता है कि इसकी रकम 4 लाख थी.
Credit: Social Mediaरानियों के नाम जागीरें
कई रानियां ऐसी भी थीं, जिनके नाम जागीरें कर दी जाती थीं. हालांकि, वेतन देने के पीछे कोई ठोस वजह स्पष्ट नहीं है.
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