रूस से भारत को सस्ता तेल मिलता रहेगा, यूएई ऐसे बना सहारा

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे। इन प्रतिबंधों का जवाब देते हुए रूस ने अपने कारोबार में डॉलर के इस्तेमाल से दूरी बनाने का फैसला किया है। रूस ने भारतीय कंपनियों को किए गए तेल निर्यात के लिए भुगतान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मुद्रा दिरहम में किए जाने की मांग की है।

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यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे। इन प्रतिबंधों का जवाब देते हुए रूस ने अपने कारोबार में डॉलर के इस्तेमाल से दूरी बनाने का फैसला किया है। रूस ने भारतीय कंपनियों को किए गए तेल निर्यात के लिए भुगतान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मुद्रा दिरहम में किए जाने की मांग की है। 

यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों का जवाब देने के लिए रूस ने यह बड़ा कदम उठाया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने भारतीय कंपनियों को किए गए तेल निर्यात के लिए भुगतान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मुद्रा दिरहम में किए जाने की मांग की है। 

बताते चलें कि पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंधों की वजह से रूस ने अमेरिकी डॉलर में कारोबार से दूरी बनाने का फैसला किया है। इस साल फरवरी में यूक्रेन पर हमले के मद्देनजर अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि, रूस ने यूक्रेन पर हमले को अपनी विशेष सैन्य कार्रवाई बताया है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की एक तेल कंपनी को किए गए तेल निर्यात का बिल देखने से पता लगता है कि इस निर्यात के लिए गणना डॉलर में की गई, लेकिन रूस ने इस भारतीय कंपनी से दिरहम में भुगतान करने का अनुरोध किया।  

रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट यूएई बेस्ड ट्रेडिंग कंपनियों एवरेस्ट एनर्जी और कोरल एनर्जी के जरिए भारत में कच्चा तेल निर्यात कर रही है। वहीं चीन के बाद भारत रूस के तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते कई तेल आयातकों ने रूस के तेल दूरी बना ली। इसके बाद रूस को भारी भरकम छूट पर तेल बेचना पड़ा है।

रूस के इस भारी छूट वाले तेल का फायदा उठाने वालों में भारत भी है। इस साल जून महीने में सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए रूस, भारत में तेल का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर बन चुका है। जबकि इराक पहले स्थान पर है। First Updated : Tuesday, 19 July 2022