फिनलैंड और स्वीडन को नाटो की औपचारिक मंजूरी, जो बाइडन ने किए हस्ताक्षर

फिनलैंड और स्वीडन को नाटो की आखिरकार नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) की सदस्यता मिल गई। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोनों देशों का दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा समूह में शामिल होने पर स्वागत किया है। बाइडन ने कहा कि अब यह गठबंधन पहले से कई शक्तिशाली हो गया है।

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फिनलैंड और स्वीडन को नाटो की आखिरकार नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) की सदस्यता मिल गई। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दोनों देशों का दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा समूह में शामिल होने पर स्वागत किया है। बाइडन ने कहा कि अब यह गठबंधन पहले से कई शक्तिशाली हो गया है।

फिनलैंड और स्वीडन को औपचारिक रूप से नाटो की सदस्यता मिल चुकी है। मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ रेटिफिकेशन दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद फिनलैंड और स्वीडन नाटो के सदस्य बन गए। इस अवसर पर जो बाइडन ने गठबंधन की मजबूती पर बल दिया है।

 

 

जो बाइडन ने कहा कि अब हमारा गठबंधन पहले के मुकाबले एकजुट और करीब हो गया है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया को अपनी मंजूरी दे दी है। बाइडन ने कहा कि यह गठबंधन अब 32 देशों का हो चुका है, जो पहले की अधिक शक्तिशाली होगा।

समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते सप्ताह सप्ताह नाटो के विस्तार के लिए डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के अधिकतर सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। नाटो के 30 सदस्य देशों में अमेरिका 23वां ऐसा देश रहा, जिसने फिनलैंड और स्वीडन के विलय को मंजूरी दी है।

 

 

बाइडन ने रूस की नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूरोप में शांति और सुरक्षा को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब रूस की तानाशाही व्यवस्था नियम आधारित प्रणाली को चुनौती दे, तब ट्रान्साटलांटिक गठबंधन की ताकत और नाटो के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता पहले के मुकाबले अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। जो बाइडन ने अन्य सहयोगियों से भी जल्द से जल्द अनुसमर्थन प्रक्रियाओं को पूर्ण करने की अपील की है।

बता दें कि नाटो 30 देशों का दुनिया का सबसे बड़ा सुरक्षा संगठन है। नाटो में शामिल होने के लिए सभी देशों की सहमति जरूरी होती है। फिनलैंड और स्वीडन की सदस्यता को नाटो के ज्यादातर देश मंजूरी दे चुके है। वहीं अभी तक तुर्की एकमात्र देश है जिसने परिग्रहण प्रक्रिया को रोका हुआ है। तुर्की को लेकर संशय बना हुआ है। First Updated : Wednesday, 10 August 2022