जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र की बिजली कटी, रेडिएशन का खतरा बढ़ा

यूक्रेन पर रूसी हमलों से जापोरिज्जिया स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग लगने से वहां के ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त होने से बिजली कट गई है। इसकी जानकारी यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संचालक ने एनर्जोएटम ने दी।

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यूक्रेन पर रूसी हमलों से जापोरिज्जिया स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग लगने से वहां के ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त होने से बिजली कट गई है। इसकी जानकारी यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संचालक ने एनर्जोएटम ने दी। बताया जा रहा है कि परमाणु संयंत्र की बिजली जाना चिंता का विषय है, क्योंकि इसकी आपूर्ति में व्यवधान आने से कूलिंग प्रणाली के खराब होने का खतरा है। जो रिएक्टरों के सुरक्षित संचालन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

एनर्जोएटम ने एक बयान में बताया कि इसका अर्थ है कि यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र के शेष दो रिएक्टरों का बिजली ग्रिड से संपर्क टूट गया। इससे पहले संयंत्र पर रूसी बलों और यूक्रेन के सैनिकों के बीच संयंत्र पर कब्जे को लेकर जारी लड़ाई में तीन अन्य ट्रांसमिशन लाइन क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके बाद यूक्रेन में चेरनोबिल परमाणु दुर्घटना के दोहराने की संभावना जताई जा रही है।

रूसी रक्षा मंत्रालय के पूर्वानुमान के अनुसार, अगर जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में दुर्घटना होती है, तो रेडियो एक्टिव पदार्थ पोलैंड, जर्मनी और स्लोवाकिया तक को अपनी चपेट में ले सकता है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के एक रिएक्टर से 25 फीसदी रेडियोएक्टिव पदार्थ का रिसाव होता है तो पूरा स्कैंडिनेविया इससे प्रभावित हो जाएगा। बता दें कि स्कैंडिनेविया उत्तरी यूरोप का एक इलाका है, जिसमें डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन जैसे देश आते है।

रक्षा मंत्रालय के पूर्वानुमान में कहा गया है, अगर आपात स्थिति में ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के स्टैंडबाय डीजल जेनरेटर और मोबाइल पंप काम करना बंद कर देते हैं तो रिएक्टर गर्म हो जाएंगे। जिसके भीषण विस्फोट हो सकता है और हवा में रेडियोएक्टिव पदार्थ फैल सकता है। यह बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है।

इससे पहले 26 अप्रैल साल 1986 को तत्कालीन सोवियत संघ के चेरनोबिल के न्यूक्लियर पावर प्लांट में विनाशकारी धमाका हुआ था। इस धमाके के चंद घंटे में प्लांट में काम करने वाले 32 कर्मचारियों की मौत हो गई। इसके अलावा सैकड़ों कर्मचारी न्यूक्लियर रेडिएशन की वजह से बुरी तरह से जल गए। First Updated : Friday, 26 August 2022