रूस-यूक्रेन युद्ध को आज को एक साल पूरे हो चुके है। 24 फरवरी, 2022 को आज ही के दिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ विशेष सैन्य अभियान की घोषणा की थी। हमले से पहले रूस ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का विरोध किया था। रूस का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो नाटो का नेतृत्व करने वाले देशों के सैन्य ठिकाने उसकी सीमा के पास पहुंच जाएंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल पूरा होने के बाद भी यह जंग रूकने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच दुनिया के तमाम देश गुट में बंट गए है। पहला गुट पश्चिम देशों का है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन समेत यूरोपीय देश शामिल है। यह देश यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ खड़े है और यूक्रेन की हरसंभव मदद कर रहे है। वहीं दूसरे गुट की बात करें तो यह गुट रूस के साथ खड़ा है। इसमें बेलारूस, सीरिया, दक्षिण कोरिया जैसे देश शामिल है। इसके अलावा कुछ देश ऐसे भी है, जिन्होंने खुलकर रूस के हमले की आलोचना नहीं की है, लेकिन शांति और संप्रभुता की बात जरूर की है। इन देशों में भारत, चीन और तुर्की शामिल है।
रूस ने यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से से युद्ध की शुरूआत की थी। रूस ने युद्ध के दौरान यूक्रेन के लुहांस्क, दोनेत्स्क समेत कई हिस्सों पर अपना कब्जा करने के बाद इन इलाकों को अपना हिस्सा घोषित कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अब तक 1.86 करोड़ लोग यूक्रेन को छोड़कर जा चुके है। रूस यूक्रेन युद्ध के बीच एक समय ऐसा भी आया जब भारत इस मुद्दे पर तटस्थ रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह युद्ध का दौर नहीं है। दोनों दोशों को बातचीत से मुद्दे का समाधान करना चाहिए। जबकि चीन ने भी बातचीत के जरिए इसका समाधान निकालने की बात दोहराई है।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी देशों ने लगाया प्रतिबंध
यूक्रेन पर रूसी हमले का पश्चिमी देशों ने कड़ा विरोध जताया है। रूस की आमदनी को कम करने और युद्ध की कोशिशों को कमजोर करने के लिए कई देशों ने रूस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए। रूस को आर्थिक रूस से कमजोर करने के लिए उसके तेल और गैस के आयात को नियंत्रित करने की तमाम कोशिशें की गई। इतना ही नहीं रूसी ईंधन पर निर्भर रहने वाले यूरोपीय देशों ने समुंद्र के रास्ते आने वाले तेल की खरीद को खत्म को खत्म कर दिया। अमेरिका ने पिछले साल मार्च में कहा था कि वह रूस के तेल निर्यात को बंद कर देगा। पिछले साल पांच दिसंबर को ब्रिटेन में रूस के कच्चे तेल और उसके उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
संयुक्त राष्ट्र में 23 फरवरी को रूस के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव
रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने से एक दिन पहले यानी कि 23 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र सभा में रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव में मांग की गई कि रूस जल्द से जल्द यूक्रेन से बाहर निकल जाए। संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 देशों ने वोट किया। जबकि साल देशों ने इसके विरोध में वोट किया। प्रस्ताव का विरोध करने वाले देशों में रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया, माली, एरिट्रिया और निकारागुआ शामिल है। वहीं भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और ईरान समेत 32 देशों में इस प्रस्ताव पर वोट नहीं किया है।
चीन के चाणक्य वांग यी का मॉस्को दौरा
रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे होने के करीब दो दिन पहले चीन के चाणक्य कहे जाने वाले और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विदेशी मामलों सबसे वरिष्ठ अधिकारी वांग यी ने रूस का दौरा किया। इस बीच वांग यी ने मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। इस दौरान वांग यी ने बातचीत से शांति व्यवस्था बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो देश यूक्रेन को सैन्य मदद दे रहे है वे शांति के रास्ते को और कठिन बना रहे है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कीव दौरे के बाद वांग यी का यह मॉस्को दौरा काफी अहम माना जा रहा है। First Updated : Friday, 24 February 2023