UAE के इस कानून ने फंसाया फच्चर, जानिए भारतीयों के सामने क्यों आएगी मुसीबत
खाड़ी देशों में भारतीय कर्मचारी बड़ी संख्या में काम करते है। इसके अलावा बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान के लोगों की भी बड़ी संख्या में काम करते है। लेकिन अब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) प्राइवेट सेक्टर में अपने नागरिकों की भर्ती करना चाहता है और इसके लिए एक नया नियम लाया गया है।
खाड़ी देशों में भारतीय कर्मचारी बड़ी संख्या में काम करते है। इसके अलावा बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान के लोगों की भी बड़ी संख्या में काम करते है। लेकिन अब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) प्राइवेट सेक्टर में अपने नागरिकों की भर्ती करना चाहता है और इसके लिए एक नया नियम लाया गया है।
यूएई अभी तक अपने नागरिकों को नौकरी देने के लिए सरकारी कंपनियों का इस्तेमाल करता था, लेकिन अब यूएई एक नया नियम लाया है। नए नियम के तहत, अगर एक जनवरी तक प्राइवेट कंपनिया अपने कुल कर्मचारियों में दो फीसदी जगह यूएई के नागरिकों को नहीं देतीं तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य में प्राइवेट कंपनियों में यूएई कर्मचारियों का प्रतिशत और भी बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में इसका सीधा असर यूएई में काम करने वाले भारतीय लोगों पर पड़ सकता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, यूएई के प्राइवेट सेक्टर में 90 फीसदी कर्मचारी विदेशी हैं।
34 वर्षीय अमीराती शोधकर्ता खलीफा अल-सुवेदी का कहना है कि अब समय बदल रहा है। वे जून 2021 में सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद अब प्राइवेट कम्पनियों में जॉब की तलाश कर रहे हैं। अल-सुवेदी ने कहा कि अमीराती लोगों में काफी टैलेंटेड लोग हैं और सभी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती है।
यूएई सरकार का लक्ष्य है कि साल 2026 तक प्राइवेट सेक्टर में 10 फीसदी नौकरी अमीराती लोगों की हो। सरकार ने एक जनवरी से नया नियम लेकर आई है। इसके तहत, 50 से अधिक कर्मचारियों वाली प्राइवेट कंपनी में दो फीसदी कर्मचारी अमीराती होने चाहिए। ऐसा नहीं होता तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
इस नियम के बाद कई कंपनी में नागरिकों की भर्ती देखी गई, लेकिन कुछ कंपनी इस लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम नहीं है। जिसका बड़ा कारण अमीराती लोगों की अधिक सैलरी की मांग है।