कौन हैं सलमान रुश्दी? जिनकी लिखी किताब पर फ़तवे जारी हो गए थे

भारतीय मूल के विवादित ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर के न्यूयॉर्क में जानलेवा हमला किया गया है। हमलावर ने उनकी गर्दन में चाकू से हमला कर दिया। रुश्दी एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। वहां हमलावर स्टेज पर आ धमका और रुश्दी समेत उनका इंटरव्यू लेने वाले पर भी हमला कर दिया। पेंसिलवेनिया के एरी स्थित अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।

Janbhawana Times
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भारतीय मूल के विवादित ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर के न्यूयॉर्क में जानलेवा हमला किया गया है। हमलावर ने उनकी गर्दन में चाकू से हमला कर दिया। रुश्दी एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। वहां हमलावर स्टेज पर आ धमका और रुश्दी समेत उनका इंटरव्यू लेने वाले पर भी हमला कर दिया। पेंसिलवेनिया के एरी स्थित अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।

रुश्दी को पहली बार जान से मारे जाने की धमकी उनकी विवादित किताब 'द सैनेटिक वर्सेज' के लिए अस्सी के दशक में ईरान से मिली थी. किताब पर ईशनिंदा का आरोप लगा था. 1988 में किताब को ईरान में बैन कर दिया गया था। ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने रुश्दी को जान से मारने का धार्मिक आदेश जारी किया था। ईरान ने रुश्दी को मारने के लिए तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा था। रुश्दी तब से खुद को बचाते आए हैं उन्होंने छिपने के लिए जोसेफ एंटोन छद्मनाम का सहारा भी लिया। आइए एक नजर डालते हैं उनके अबतक के सफर पर।

सलमान रुश्दी का जन्म 19 जून 1947 में भारत के बॉम्बे में हुआ, जिसे अब मुंबई कहा जाता है। 1981 में उनकी दूसरी उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रेन ने बुकर प्राइज जीता। 1988 में उनकी उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज रिलीज हुई लेकिन जल्द ही इसे ईरान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और अन्य देशों में बैन कर दिया ।या. भारत ने भी इसके आयात पर रोक लगा दी थी। 1989 में ईरान ने एक फतवा जारी कर द सैटेनिक वर्सेज में इस्लाम का अपमान करने के आरोप में रुश्दी को जान से मारने का आह्वान किया। 1990 में न्यूजवीक ने रुश्दी का एक निबंध प्रकाशित किया। गुड फेथ शीर्षक से लिखे गए इस निबंध नें रुश्दी ने उपन्यास का बचाव करने की कोशिश की थी। 1993 में रुश्दी ने लेखकों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लेखकों की अंतर्राष्ट्रीय संसद की स्थापना में हिस्सा लिया। इसे 2003 में भंग कर दिया गया था। ईरानी फतवा जारी होने के बाद 1995 में रुश्दी अपनी पूर्व घोषित सार्वजनिक उपस्थिति के तहत लंदन में पहली बार दिखाई पड़े थे. इससे पहले वह छह साल तक पुलिस की सुरक्षा में सुरक्षित घरों में रहे थे।

1999 में रुश्दी को मातृभूमि का दौरान करने के लिए भारत सरकार ने वीजा दिया था लेकिन इससे मुस्लिमों का विरोध भड़क गया था। 2005 में रुश्दी की किताब शालीमार द क्लाउन प्रकाशित हुई, जिसमें कई कथा सूत्र भारतीय प्रशासित कश्मीर के इर्द-गिर्द घूमते हैं। 2007 में रुश्दी को साहित्य में योगदान के लिए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने सर की उपाधि से सम्मानित किया. इससे पाकिस्तान के मुसलिम समुदाय में व्यापक विरोध भड़क गया। 2008 में रुश्दी के उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रेन को बुकर प्राइज से नवाजा गया।

2009 में ईरान ने कहा कि सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा अब मान्य है। जनवरी 2012 में भारत में कुछ मुस्लिम समूहों द्वारा विरोध किए जाने पर सलमान रुश्दी मे जयपुर के साहित्य महोत्सव में शामिल होने की अपनी योजना रद्द कर दी थी। 2012 में रुश्दी ने जोसेफ एंटोन नाम संस्मरण को प्रकाशित किया जो अपने छिपने का दास्तां बयां करता है। 2014 में रुश्दी ने अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन के लिए वार्षिक पेन/पिंटर पुरस्कार जीता, जिसे जजों ने लेखकों के लिए इसे उनकी उदार मदद कहा। 2015 में रुश्दी की एक और किताब टू ईयर्स, एट मंथ्स एंड ट्वेंटी एट नाइट्स रिलीज हुई।

अक्टूबर 2015 में रुश्दी ने फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में कड़ी सुरक्षा के बीच पश्चिम में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए नए खतरों की चेतावनी दी। ईरानी संस्कृति मंत्रालय ने रुश्दी की उपस्थिति के कारण मेले में शामिल नहीं हुआ था।

2016 में 20 साल तक न्यूयॉर्क में रहने के बाद रुश्दी अमेरिकी नागरिक बन गए। 2020 में  रुश्दी को मिगुएल डे सर्वेंट्स द्वारा स्पेनिश महाकाव्य डॉन क्विक्सोट के आधुनिक संस्करण क्विचोट के लिए बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया। 2022 में रुश्दी को ब्रिटेन की महारानी के वार्षिक जन्मदिन सम्मान में कंपेनियन ऑफ ऑनर बनाया गया।

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13 August 2022, 08:08 PM IST

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