भारतीय सिनेमा के लिए वर्ष 2023 हमेशा के लिए इतिहास में याद रखा जाएगा। इसकी वजह यह है कि इसी साल भारत की झोली में एक नहीं दो-दो ऑस्कर अवॉर्ड आए हैं। यह अवार्ड भारत के गौरवशाली सिनेमा के इतिहास के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। बीते दिनों अमेरिका में सालाना ऑस्कर अवार्ड का आयोजन किया गया। हर वर्ष की भांति इस साल भी अट्ठारह श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए। इसमें अहम पहलू यह रहा कि भारत को दो श्रेणियों में यह पुरस्कार प्राप्त हुआ।
सबसे पहला पुरस्कार मौलिक की संरचना श्रेणी में आरआर फिल्म के नाथू-नाथू गाने के लिए मिला। यह गाना ना सिर्फ फिल्म की जान है बल्कि इस गाने के दृश्य संयोजन मुक्त निर्देशन और गीत के बोल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। यही नहीं जब पुरस्कार समारोह के जूरी में शामिल जजों ने इस गाने को सुना तो वह मुक्त हो गए। इसी का परिणाम है कि इस गाने को मौलिक गीत संरचना की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला। इस पुरस्कार की घोषणा होते ही नसीर फिल्म के निर्माता निर्देशक आरआर राज मौली सहित फिल्म के गीतकार और नृत्य निर्देशक खुशी से झूम उठे। पुरस्कार को पाकर फिल्म निर्माण में शामिल सभी लोगों ने एक सुर में सभी का शुक्रिया अदा किया।
जैसे ही यह खबर समाचारों के माध्यम से भारत के आम लोगों तक पहुंची यहां की आम जनता भी खुशी से झूम उठी। काफी दिनों बाद भारत की झोली में यह अवार्ड आया। इसके पूर्व 2009 में स्लमडॉग मिलेनियर के लिए जय हो गाने को यह पुरस्कार मिला था लेकिन यह पुरस्कार विदेशी फिल्म की कैटेगरी में मिला था जबकि नाथू नाथू को मिला पुरस्कार विशुद्ध रूप से भारतीय सिनेमा में फिल्माए गए। गीत के लिए दिया गया पुरस्कार की घोषणा के साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस उपलब्धि पर फिल्म के कलाकारों और निर्माता निर्देश को को बधाई दी। यही नहीं फिल्म जगत से जुड़े सभी दिग्गज लोगों ने भारत को इस पुरस्कार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह भारतीय सिनेमा के लिए गौरवशाली क्षण है। इसका जितना सेलिब्रेशन किया जाए वह कम है। इस पुरस्कार का महत्व इसलिए भी है कि यह पुरस्कार अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है और इसे मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत में पुरस्कार पाने वाले का मान सम्मान भी बढ़ता है।
इसी पुरस्कार समारोह में दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कार भारत की झोली में आया वह शॉर्ट डॉक्युमेंट्री फिल्म की श्रेणी में मिला यहां 40 मिनट की बनी शॉर्ट डॉक्युमेंट्री फिल्म द एलीफेंट व्हिस्पर्स को यह गौरव हासिल हुआ शर्ट डॉक्यूमट्री में दिखाया गया है कि एक जानवर और मनुष्य के बीच में कैसा भावनात्मक रिश्ता होता है। इस फिल्म में एक छोटे से हाथी के बच्चे को दक्षिण भारत की एक दंपत्ति द्वारा पाला पोसा जाता है। इस फिल्म में दंपत्ति हाथी के बच्चे को अपने बेटे की तरह से पालते हैं। इस दरमियान तीनों लोगों के बीच एक भावनात्मक लगाव देखने को मिलता है। पूरी फिल्म में यह दिखाया गया है मनुष्य और जानवर के बीच एक भावनात्मक रिश्ता हो सकता है बशर्ते उसे संजीदगी से दिया जाए।
इस शॉर्ट डॉक्युमेंट्री फिल्म को दो महिलाओं ने मिलकर बनाया है इसलिए इसकी उपलब्धि और भी बढ़ जाती है। पुरस्कार मिलने के बाद देश के सिर्फ पदों पर बैठे लोगों ने इसे महिलाओं द्वारा फिल्म के खेतों में लगाई गई छलांग बताया फिल्म की तारीफ में कहा गया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। आने वाले दिनों में महिलाएं जीवन के किसी भी क्षेत्र में अपने हुनर और कौशल के साथ अपनी काबिलियत सिद्ध कर सकती हैं। First Updated : Wednesday, 15 March 2023