संसद न चलना लोकतंत्र के लिए हानिकारक
सोमवार को बजट सत्र का दूसरा पार्ट लोक सभा और राज्यसभा में शुरू हुआ। लेकिन पहले दिन ही इस प्रकार का हंगामा दोनों सदनों में हुआ, उससे यह अंदाजा लग गया कि आने वाले दिनों में लोकसभा और राज्यसभा का चलना काफी मुश्किल भरा काम होगा।
सोमवार को बजट सत्र का दूसरा पार्ट लोक सभा और राज्यसभा में शुरू हुआ। लेकिन पहले दिन ही इस प्रकार का हंगामा दोनों सदनों में हुआ, उससे यह अंदाजा लग गया कि आने वाले दिनों में लोकसभा और राज्यसभा का चलना काफी मुश्किल भरा काम होगा। सांसद के पहले दिन कांग्रेस पार्टी के साथ विपक्ष के विभिन्न दल इस बात पर जोर देने लगी कि सरकार पहले अडानी मामले में संसदीय समिति का गठन करें। इस मांग को लेकर कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दल इतनी मुखर हो गए कि उन्होंने संसद के दोनों सदनों में हंगामा शुरू कर दिया।
सोमवार को इसकी वजह से संसद शुरू होने से कुछ देर बाद ही दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। बजट सत्र के पहले पार्ट में यह देखने को मिला था कि कांग्रेसी सहित विभिन्न दल अडानी मुद्दे को लेकर अड़े हुए थे। वह किसी भी हालत में इसकी जांच और संसदीय समिति के गठन की मांग से पीछे नहीं हटना चाह रहे थे। पहले पार्ट के आखिरी दिनों में दोनों सदनों की कार्यवाही लगभग न के बराबर चली। इसकी वजह से दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो पाया। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में राज्यसभा में 26 और लोकसभा में 9 बिल पर चर्चा होनी है और इसे पारित होना है।
विपक्षी सांसदों द्वारा हंगामे के बाद इस मामले में जरा सी भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। बजट सत्र के दूसरे पार्ट में भी पहले दिन के हंगामे के बाद ऐसा लग रहा है कि विपक्षी दल संसदीय परंपरा को त्याग कर सिर्फ अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। उन्हें आम जनता और संसद में बनने वाले कानून से कोई मतलब नहीं है। आने वाले दिनों में हंगामे के आसार बढ़ने वाले हैं, हालांकि केंद्र की सत्ताधारी भाजपा सरकार ने कांग्रेस और विपक्ष का जवाब देने के लिए अपनी रणनीति पहले से तय की थी। इसके तहत भाजपा के सदस्यों द्वारा सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में भी राहुल गांधी माफी मांगने की मांग पर अड़ गई।
सत्ताधारी दल का कहना था कि राहुल गांधी ने पिछले दिनों इंग्लैंड में जाकर देश के लोकतंत्र के खिलाफ जो बयान दिया है, वह काफी शर्मनाक है। इसकी वजह से देश की छवि विदेशी स्तर पर काफी धूमिल हुई है। इसकी भरपाई तभी संभव है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी दोनों सदनों में आकर इस मामले में माफी मांगे। भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ सांसद लगातार इस मांग पर अड़े रहे। इसकी वजह से विपक्ष और सत्ताधारी दल में टकराव देखने को मिला।यह टकराव लोकसभा और राज्यसभा दोनों में काफी देर तक चला और इसी वजह से हंगामा हो जा रहा 1 मिनट भी कोई कामकाज दोनों सदनों में नहीं हो पाया।
यहां यह जानना आवश्यक है कि लोकसभा की प्रति मिनट की कार्रवाही में लाखों रुपए खर्च होते हैं, और यह पैसा जनता की जेब से जाता है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को इस बात का पता होना चाहिए कि लोकसभा और राज्यसभा के कार्यवाही आम जनता के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। जनता अपने मेहनत की कमाई देश के विकास और इसे आगे बढ़ाने उद्देश्य को लेकर विभिन्न टैक्स के रूप में सरकार को अदा करती है, लेकिन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि का सम्मान करने के बजाय अपमान करने में लगे हुए हैं। इस पर लगाम लगाना काफी आवश्यक है। हालांकि यह आसान काम नहीं है, लेकिन सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों की आपस सहमति से सदन की कार्रवाही को सामान्य रूप से आगे चलाया जा सकता है। इसके लिए सत्ताधारी एवं विपक्षी दोनों दलों के प्रमुख नेताओं को आपसी बातचीत भी करनी जरूरी है। इससे लोकतंत्र को स्वस्थ बनाने में काफी मदद मिलेगी। इसके लिए आपसी भेदभाव और अहंकार को त्यागने की भी जरूरत पड़ेगी। जनप्रतिनिधियों को आम जनता की भलाई के लिए यह कदम उठाने में कोई हिचक नहीं करनी चाहिए।