मोटे अनाज को दोबारा थाली में पहुंचाने की तैयारी
भारत में सनातनी परंपरा में मोटे अनाज का महत्व रहा है। 100 साल पूर्व मोटे अनाज हमारे देश के भोजन का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे आधुनिक कृषि क्रांति आने के बाद मोटे अनाजों का चलन बंद हो गया।
भारत में सनातनी परंपरा में मोटे अनाज का महत्व रहा है। 100 साल पूर्व मोटे अनाज हमारे देश के भोजन का हिस्सा हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे आधुनिक कृषि क्रांति आने के बाद मोटे अनाजों का चलन बंद हो गया। बीते दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे दूरगामी सोच दिखाई पड़ती है। सरकार का मानना है कि धीरे-धीरे मोटे अनाज को लोगों की थाली तक पहुंचाया जाए। यही कारण है कि मोटे अनाज के चलन को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख आयोजनों के जरिये 30 शहर को इससे जोड़ा जा रहा है। इस वर्ष भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है।
पूरे वर्ष देश के कई शहरों में बड़े-बड़े आयोजन और कार्यक्रम होने हैं। इन कार्यक्रमों में कोशिश की जा रही है कि मोटे अनाज के चलन को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों को निर्देश भी दिए हैं। पिछले दिनों लोकसभा कार्यवाही के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी प्रमुख दलों के नेताओं के साथ कैंटीन में मोटे अनाज से बने व्यंजन का आनंद लिया। इसके पीछे उनकी मंशा यह थी कि ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजों से दूर हो चले लोगों को इनकी तरफ आकर्षित किया जाए।
उल्लेखनीय है कि मनुष्य के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मोटा अनाज काफी लाभदायक है। इसकी ताजा मिसाल यह है कि गाहे-बगाहे लोग अपनी डाइट में मोटे अनाज को शामिल भी करने लगे हैं। यही नहीं मोटे अनाज की कमी के चलते बाजारों में उनकी कीमत भी कई गुना है। केंद्र सरकार का मानना है अगर दोबारा से ऐसे अनाज भारतीय किसानों द्वारा उगाए जाने लगे तो उसके दोहरे लाभ मिलेंगे। पहला किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिलेगा। दूसरी ओर हमारा समाज स्वस्थ होगा।
मोटा अनाज मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। बल्कि यह आसानी से पच भी जाता है डॉक्टरों ने भी इस अनाज को सेहत की बेहतरी के लिए मान्यता दे रखी है। धीरे-धीरे इसका प्रचलन बढ़ेगा और लोगों को इससे होने वाले लाभ के बारे में जानकारी मिलेगी। फिलहाल केंद्र सरकार की मंशा है कि मोटे अनाज लोगों की दिनचर्या में दोबारा शामिल हों इसलिए 2023 को मोटा अनाज वर्ष मनाने के लिए सरकार कमर कस चुकी है। प्राचीन काल में यह हमारे देश की पहचान रहे हैं।
समय के साथ इसका विलोपन होता चला गया। हालांकि इसके पीछे प्रमुख वजह पतले अनाजों का उत्पादन अधिक होना है। पतले अनाजों में फर्टिलाइजर का उपयोग अधिक होने की वजह से इनका उत्पादन भी कई गुना अधिक होता है। किसान इस लालच में मोटे अनाज उगाने से हिचकते रहे हैं। सरकार इस मुद्दे पर भी तेजी से काम कर रही है। वह उनके अनाज उत्पादन करने वाले किसानों को आने वाले भविष्य में कई प्रकार की सुविधाएं भी देने जा रही है। सरकार के इस कदम से भारत में मोटे अनाज के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी की उम्मीद है।