जगदलपुर, छत्तीसगढ़। बस्तर में नक्सलियों से लोहा ले रही छत्तीसगढ़ आर्म्स के सेक्शन कमांडर अब्दुल हमीद और शासकीय शिक्षिका शुभ्रा खान की बेटी नीलोफर खान ने देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (आईईएस) में देश में नौंवां स्थान प्राप्त कर छत्तीसगढ़ और बस्तर जिले का मान बढ़ाया है। संघ लोक सेवा आयोग ने आईईएस के परिणाम जारी किए थे।
वहीं नीलोफर ने बताया कि तीसरे प्रयास में उन्होंने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है। साल 2020 की असफलता के बाद 2021 में इंटरव्यू तक पहुंचकर असफल होना पड़ा पर उन्होंने हौसला नहीं खोया और तीसरे प्रयास में आखिर सफलता मिल ही गई।
रोज दस घंटे की पढ़ाई -
नीलोफर ने बताया, शहर के निर्मल विद्यालय से बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग की। गेट उत्तीर्ण करने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में संविदा प्रोफेसर पर कार्य कर रही थी। 2018 में दिल्ली जाकर आईईएस की तैयारी शुरू की पर कोविड की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा। घर में रहते हुए यहां लाला जगदलपुरी लाइब्रेरी में रहकर स्वयं से तैयारी करने लगी। सुबह दस बजे से लेकर रात दस बजे तक लाइब्रेरी में ही रहकर पढ़ाई करती थी।
बहादुर पिता और माता के त्याग का परिणाम -
नीलोफर के पिता अब्दुल हमीद सीएएफ (Chhattisgarh Armed Force) में रहते नक्सल मोर्चे पर कई बार नक्सलियों से सीधी लड़ाई लड़ते रहे हैं। उन्होंने बताया, 2013 में बस्तर के अंदरुनी क्षेत्र चिंतागुफा थाना के बुरकापाल में ग्रीन हंट ऑपरेशन में भी वे रहे।
दंतेवाड़ा, दोरनापाल, कुकानार, चिंतलनार में पदस्थ रहने के बाद अब वे पांचवीं बटालियन में सेक्शन कमांडर के पद पर हैं। वे स्नेक कैचर स्पेशलिस्ट भी हैं और दो बार डीजीपी से वीरता पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। पिता अब्दुल हमीद के नक्सल मोर्चे पर रहने के दौरान मां शुभ्रा पर ही नीलोफर की जिम्मेदारी थी।
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First Updated : Sunday, 25 December 2022