छत्तीसगढ़: नक्सली आतंक पर भारी पड़ रहा बस्तर का सौंदर्य, विदेश से भी पहुंच रहे पर्यटक

बस्तर का नैसर्गिक सौंदर्य इन दिनों नक्सली आतंक पर भी भारी पड़ रहा है। बस्तर के सघन वन, गुफाएं, झरने आदि की चर्चा विश्वभर में होती है परंतु नक्सल घटनाओं की वजह से इसकी छवि पर असर पड़ता रहा है।

Dheeraj Dwivedi
Dheeraj Dwivedi

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के बस्तर का नैसर्गिक सौंदर्य इन दिनों नक्सली आतंक पर भी भारी पड़ रहा है। बस्तर के सघन वन, गुफाएं, झरने आदि की चर्चा विश्वभर में होती है परंतु नक्सल घटनाओं की वजह से इसकी छवि पर असर पड़ता रहा है। पुलिस को अब नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में सफलता हासिल हुई है और इसके साथ ही बस्तर पर्यटकों के पसंदीदा ठिकानों में से एक बन गया है। बता दें कि बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में इन दिनों पर्यटकों की काफी भीड़ उमड़ रही है।

नए वर्ष का जश्न मनाने के लिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली सहित देश के विभिन्न् राज्यों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर सैलानी यहां पर पहुंच रहे हैं। वहीं कुछ विदेशी पर्यटक भी यहां पहुंचे हुए हैं। होटल और रिसोर्ट में कमरे नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने आदिवासी संस्कृति पर आधारित घरों में भी होम स्टे की सुविधा उपलब्ध करा रखी है।

यह स्थल हैं मुख्य आकर्षण के केंद्र -

बता दें कि जगदलपुर के निकट चित्रकोट जलप्रपात को भारत का नियाग्रा कहा जाता है। यहां इंद्रावती नदी 90 फीट ऊंचा जलप्रपात (झरना) बनाती है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित प्राकृतिक कोटमसर और दंडक गुफाओं में प्रकृति की कारीगरी पर्यटकों का मन मोह लेती है। यहीं पर तीरथगढ़ जलप्रपात भी है।

वहीं अबूझमाड़ का हांदावाड़ा जलप्रपात भी इंद्रावती नदी पर पुल बनने के बाद पहुंच में आ गया है। बता दें कि नक्सली यहां से पीछे हटने को मजबूर हुए हैं। टाटामारी हिल स्टेशन, बारसूर का पुरातात्विक वैभव, केशकाल की फूलों की घाटी, दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी का प्राचीन मंदिर आदि अनेक ऐसे स्थल हैं जहां भीड़ उमड़ रही है।

नक्सलवाद का टूटा भ्रम -

वहीं कोलकाता से पहुंचे पर्यटक सुमन पाल ने बताया कि वह पहली बार बस्तर आए हैं। वे नक्सल घटनाओं की चर्चा अक्सर सुनते रहे थे इसलिए मन आशंकित था किंतु यहां आकर लोगों से मिलते ही यह भ्रम टूट गया। यहां शांत और प्रदूषणरहित वातावरण में प्रकृति का सौंदर्य निहारने का अनुभव अद्भुत और अद्वितीय है।

आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से आए टी. वेंकट ने बताया वे अरकू होते हुए यहां पहुंचे हैं। वे चित्रकोट स्थित रिसोर्ट में रुके हैं। तीरथगढ़ और कोटमसर गुफा देखने के बाद हांदावाड़ा जलप्रपात की चर्चा भी सुनी है इसलिए वे वहां भी जाएंगे।

लाखों पर्यटक पहुंच चुके बस्तर -

जानकारी के अनुसार यहां आने वाले पर्यटकों की वास्तविक संख्या की गणना की कोई व्यवस्था नहीं है। कांगेर घाटी की राष्ट्रीय उद्यान के बैरियर में ही पर्यटकों का आधिकारिक लेखा-जोखा रखा जाता है। इसके अनुसार 30 नवंबर 2022 तक 1,18,862 पर्यटक बस्तर पहुंचे हैं। राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक गणवीर धम्मशील के अनुसार दिसंबर माह के आंकड़े अभी आए नहीं हैं पर इस वर्ष पर्यटकों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक हो सकती है।

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31 December 2022, 02:31 PM IST

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