मध्य प्रदेश: अटलजी का जन्म बटेश्वर में नहीं ग्वालियर में कमलसिंह के बाग में ही हुआ था

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मस्थान को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। कुछ लोग उनका जन्म आगरा के बटेश्वर गांव का बताते हैं। जबकि उनकी 76 वर्ष की भतीजी कांति शुक्ला का कहना है कि उनके चाचा अटल बिहारी का वाजपेयी जन्म 25 दिसंबर 1924 को कमलसिंह के बाग में हुआ था

Dheeraj Dwivedi
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ग्वालियर, मध्य प्रदेश। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मस्थान को लेकर कई सवाल उठते रहे हैं। कुछ लोग उनका जन्म आगरा के बटेश्वर गांव का बताते हैं। जबकि उनकी 76 वर्ष की भतीजी कांति शुक्ला का कहना है कि उनके चाचा अटल बिहारी का वाजपेयी जन्म 25 दिसंबर 1924 को कमलसिंह के बाग में हुआ था। इसी मकान में वर्तमान में कांति शुक्ला का निवास है।

उन्होंने बताया कि यहां पहले पाटौर थी। उसी में अटल बिहारी का जन्म हुआ था। वर्तमान में इस पाटौर के स्थान पर एक कमरा है। कमलसिंह बाग में अटलजी के नाम पर एक वाचनालय भी है। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक व कवि थे। माता कृष्णा देवी वाजपेयी थी। अटलजी के सात भाई-बहन थे।

भाइयों में प्रेम बिहारी वाजपेयी, अवध बिहारी वाजपेयी, सुदा बिहारी वाजपेयी, बहनें विमला मिश्रा, अवध बिहारी वाजपेयी व कमला देवी थीं। अटल बिहारी वाजपेयी की स्कूल व कालेज की शिक्षा ग्वालियर में हुई। अटल बिहारी वाजपेयी ने स्कूली शिक्षा शासकीय गोरखी विद्यालय व स्नातक एमएलबी कॉलेज से किया था।

उनके मित्रों में वर्तमान में कवि शैवाल सत्यार्थी और जगदीश तोमर ही उनकी यादों को संजोकर रखे हुए हैं। उनके पड़ोसी मित्र शैवाल सत्यार्थी का उनके जन्मस्थान के सवाल पर कहना है कि परिवार के लोगों को अधिक पता होगा। वैसे मेरी स्मृति में अटलजी का जन्म कमल सिंह के बाग में ही हुआ था।

कमलसिंह बाग की गलियां स्मार्ट हो -

कांति शुक्ला का कहना है कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कई यादें कमलसिंह बाग की छोटी-छोटी गलियों से जुड़ी हुईं हैं। राजनीति के शिखर पर पहुंचने के बाद भी इन गलियों की यादें उन्हें यहां खीच लाती थी। जब भी वे यहां आते तो उनकी कार उनके निवास तक नहीं आ पाती थी। शिंदे की छावनी चौराहे से कमल सिंह बाग में प्रवेश करने के बाद गाड़ी को लक्ष्मी होटल के सामने खड़ी कर पैदल ही सबसे मिलते-जुलते आते थे।

कांति शुक्ला का कहना है कि प्रशासन तो सब कर देगा, लेकिन यहां के लोगों का दायित्व भी है कि अटल बिहारी वाजपेयी की गलियां प्रदेश में ही नहींं देश में आदर्श हो। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि स्मार्ट शहर की तरह अटलजी की गलियां भी स्मार्ट हो। इन गलियों में आने अटल प्रेमी को लगे कि वे अटल बिहारी वाजपेयी की गलियों में घूम रहे हैं। वर्तमान में तो यहां अंधकार, जगह-जगह कचरे के ढेर और गंदगी से भरी नालियां हैं।

मंगोड़े और बहादुरा के लड्डू अटलजी को अतिप्रिय थे -

अटलजी का ग्वालियर से प्रेम अविस्मरणीय था। दौलतगंज में अम्मा के मंगोड़े और नया बाजार में बहादुरा के लड्डू का स्वाद अंतिम स्वांस तक उन्हें यहां आने के लिए मजबूर कर देता था।

अपने कवि मित्र शैवाल सत्यार्थी को अटलजी द्वारा लिखा पत्र -

13 फरवरी 1986 को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पड़ोसी और कवि मित्र शैवाल सत्यार्थी को लिखे पत्र में विघटनकारी ताकतों को , और भ्रष्टाचार को लेकर उनकी पीड़ा झलकती नजर आती है। प्रिय शैवाल जी आपका 15 जनवरी 1986 के पत्र के साथ राष्ट्र को क्या दोगे शीर्षक के साथ रचतना प्राप्त हुई।

बहुत-बहुत धन्यवाद आज के संदर्भ में रचना सचमूच एक सुलगता प्रशन प्रस्तुत करती है। अच्छा होता यादि उस में मिलावट का घोल न मिलाया जाता। मिलावट एक अपराध है। भ्रष्टाचार और रिश्वत का निर्मूलन जरूरी है। किंतु सुलगती हुई पंजाब की स्थिति के संदर्भ में विघटन और तोड़-फोड़ की ओर इशारा करना ही काफी होना चाहिए था। यदि यह रचना पुरानी है, तब मुझे कुछ कहना नहीं हैं। कवि की दूरदृष्टि के लिए बधाई।

शुभकामनाओं के साथ -

अटलजी राजनीतिक व्यस्तताओं के बीच पत्रों के माध्यम से अपने मित्रों के साथ जीवांत संवाद रखते थे। शैवाल सत्यार्थी अपने प्रिय मित्र अटलजी की पत्रों के रूप में यादों को संजोकर रखा है। शैवाल और उनकी पत्नी शकुन के जीवन साथी बनने पर पत्र के माध्यम से प्रेषित की बधाई को शैवाल सत्यार्थी ने अटलजी की अमूल्य धरोहर के रूप में रखा है। शैवाल इन पत्रों को अपने जीवन की सबसे अमूल्य पूंजी बताते हैं।

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25 December 2022, 12:27 PM IST

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