उज्जैन में महाकाल के अलावा काल भैरव मंदिर, चिंतामण गणेश मंदिर, हरसिद्धि माता मंदिर, सांदीपनि आश्रम सहित अन्य स्थल भी है, लेकिन व्यवस्थित रुप से पर्यटन दर्शन बसों का संचालन नहीं होता। कुछ निजी वाहन जरुर ले जाते है, लेकिन वे भी कुछ मंदिरों के दर्शन करा लाते है।
उज्जैन का पुराना इतिहास है, महाकाल लोक में भी कई भित्ती चित्र बनाए गए है। दर्शकों को इसकी जानकारी नहीं मिलती, क्योकि यहां गाइड की व्यवस्था नहीं है।
उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिर -
महाकाल की नगरी उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। अगर आप महाकाल का आशीर्वाद लेने जा रहे है तो इन प्रसिद्ध मंदिरों के भी दर्शन करें।
चिंतामण गणेश मंदिर -
मंदिर में भगवान गणेश 3 रूपों चिंतामण और इच्छामन तथा सिद्धिविनायक के रूप में विराजमान हैं। अपनी मनोकामनाओं के लिए यहां श्रद्धालु उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं।
काल भैरव मंदिर -
काल भैरव को बाबा महाकाल का सेनापति कहा जाता है। काशी में जैसे बाबा विश्वनाथ के साथ काल भैरव के दर्शन जरूरी माने जाते हैं। वैसे ही उज्जैन में महाकाल के साथ काल भैरव के दर्शन भी जरूरी हैं।
हरसिद्धि माता मंदिर -
महाकाल मंदिर के पास स्थिति हरिसिद्धि माता का मंदिर शक्ति पीठ है। यहां माता सती की कोहनी गिरी थी। मंदिर के सामने बनी दो बड़ी दीपमालिकाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं।
मंगलनाथ मंदिर -
मंगलनाथ मंदिर में मंगल ग्रह के दोष निवारण के लिए भातपूजा की जाती है। इसे मंगल ग्रह का जन्म स्थान भी माना जाता है। यहां पृथ्वी माता का मंदिर भी है।
रामघाट -
उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर रामघाट सबसे प्रसिद्ध स्थान है। सिंहस्थ के दौरान यहां शाही स्नान होता है। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने यहां उनके पिता दशरथ जी का तर्पण किया था। इसी वजह से इसका नाम रामघाट पड़ा।
सांदीपनि आश्रम -
भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा ने अपनी शिक्षा उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में प्राप्त की थी। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां विशेष आयोजन होता है।
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