रूस यूक्रेन में युद्ध विराम के संकेत
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को लगभग 1 साल से ऊपर का समय बीत चुका है। लेकिन विश्व युद्ध को रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस पहल नहीं दिख रही है।
रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को लगभग 1 साल से ऊपर का समय बीत चुका है। लेकिन इस युद्ध को रोकने के लिए अभी तक कोई ठोस पहल नहीं दिख रही है। हालांकि नाटो समेत विश्व के कई विकसित देश इस युद्ध को हर हाल में रोकने में लगे हुए थे, लेकिन उसमे उन्हें सफलता नहीं मिली। ताजा खबर के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के दौरे पर पहुंच रहे हैं वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करेंगे। राजनीतिक घटनाक्रम के अनुसार उम्मीद जताई जा रही है कि जिनपिंग पुतिन से रूस यूक्रेन युद्ध के बारे में महत्वपूर्ण वार्ता करेंगे। इस दौरान विदेश मामलों के जानकार का कहना है की जिनपिंग का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को कम कर युद्ध समाप्ति की घोषणा करना है लेकिन इसका पूर्व में कोई संकेत जानबूझकर नहीं दिया जा रहा है क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक असर पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि रूस यूक्रेन युद्ध में अरबों डॉलर की संपत्ति नुकसान हो गया है। दोनों देशों के हजारों सैनिकों सहित जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी असर पड़ा है। कई देशों में इस युद्ध के परिणाम स्वरूप महंगाई चरम पर पहुंच गई है। इसकी वजह यह है कि यूक्रेन पूरी दुनिया में गेहूं का प्रमुख निर्यातक देश रहा है, जबकि रूस से विश्व के आधे से अधिक देशों में कच्चे तेल की आपूर्ति की जाती है। इन दिनों दोनों देशों के बीच युद्ध चलने की वजह से व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव थोड़ा और कई देशों में इसकी वजह से मंदी भी आ गई।
हाल ही में अमेरिका में बड़े बैंकों के बंद होने का संकेत मिला है यह आने वाले दिनों में और भी कठिन परिस्थितियों को जन्म देगा इस परिस्थिति में जिनपिंग द्वारा रूस का दौरा कर युद्ध के लिए शांति वार्ता एक सकारात्मक संकेत माना जा सकता है। हालांकि यह अभी पूर्वानुमान लगाया जा रहा है, लेकिन अगर इसमें थोड़ी सी भी सच्चाई है तो पूरे विश्व को इससे राहत मिलने की उम्मीद है। वर्तमान में विश्व के सभी देशों की निगाहें रूस और यूक्रेन खुद पर ही रुकी हुई है, हालांकि दोनों देशों को व्यक्तिगत स्तर पर नुकसान हुआ है। लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है।
एक तरफ रूस के राष्ट्रपति पुतिन अपने नाक नीची नहीं करना चाहते हैं तो दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से यूरोपीय देशों का समर्थन मिल रहा है। यही नहीं हाल में ही विश्व की महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का यूक्रेन दौरा इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। यह दौरा ऐसे समय हुआ जब दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा था। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति में यूक्रेन के राष्ट्रपति को न सिर्फ आर्थिक मदद देने का वादा किया बल्कि हर तरह से उनके साथ खड़े रहने का वादा किया। दूसरी ओर विश्व की महाशक्ति के रूप में गिनी जाने वाले रूस उसे अपनी नाक की लड़ाई मानकर चल रहा है। इसलिए पुतिन किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है, हालांकि उनके मित्र राष्ट्र समय-समय पर उन्हें युद्ध समाप्त करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। यही नहीं युद्ध के बाद होने वाली शांति के बारे में भी कई देशों के राष्ट्रपति वार्ता कर चुके हैं। लेकिन इसका असर अभी नहीं लिखा है जिनपिंग के दौरे के बाद दोनों देशों के युद्ध विराम पर कोई फर्क पड़ेगा या नहीं यह एक-दो दिन में स्पष्ट हो जाएगा।